समाज का मार्ग दर्शन करती है डा. क्षेम की कविताएं - कृपाशंकर सिंह
साहित्य समाज का दर्पण होता है- जिलाधिकारी
स्वतंत्रता आंदोलन में रहा कवियों का योगदान - पुलिस अधीक्षक
हिंदी साहित्य में सशक्त हस्ताक्षर हैं डा. क्षेम- ज्ञानप्रकाश सिंह
जौनपुर। साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम की कविताएं मानवता का संदेश देती हैं। जिसने भी उनकी कविताओं को गंभीरतापूर्वक पढ़ा या सुना होगा उसने अपने जीवन में सही रास्ता पकड़ा होगा। उक्त बातें महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह ने डा. श्रीपाल सिंह क्षेम के 102वें जन्म दिवस समारोह पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि निंदिया घरों से देखो धूपिया मुंडेरा है ,जभी से जगो रे भाई तभी से सबेरा है। क्षेम जी की कविता आज भी उनका मार्गदर्शन करती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ ने कहाकि साहित्य समाज का दर्पण होता है।
एसपी डा. अजय पाल शर्मा ने कहाकि स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। साहित्य में समाज को दिशा देने की शक्ति होती है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ भाजपा नेता एवं ज्ञानप्रकाश सिंह ने डा. क्षेम को हिंदी साहित्य के इतिहास में एक सशक्त हस्ताक्षर बताया।
संचालन डा. मधुकर तिवारी ने किया।
समारोह के दूसरे चक्र में पं. रामकृष्ण त्रिपाठी की अध्यक्षता में भव्य कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री सुदामा पांडेय सौरभ ने किया जिसमें आजमगढ़ गीतकार भालचन्द्र त्रिपाठी, शायर अंसार जौनपुरी , वाराणसी से पधारे हास्य कवि नागेश शाण्डिल्य प्रतापगढ़ की धरती से आये ओज के कवि डा.रणजीत सिंह ने अपनी रचनाओं को सुनाकर वाहवाही लूटी ।
संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर, आंगन्तुकों का अभिवादन ओमप्रकाश सिंह तथा आभार ज्ञापन शशिमोहन सिंह क्षेम ने व्यक्त किया।