चंद्रयान 3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों के जीवन का स्वर्णिम पल – ज्ञान प्रकाश सिंह (वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी)
जौनपुर। चंद्रयान-3 ने जैसे ही चाँद की धरती को चूमा जनपद के लोग ख़ुशी से झूम उठे। त्वरित प्रक्रिया देते हुए जनपद के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी ज्ञानप्रकाश सिंह ने देश वासियो को बधाई देते हुए कहा कि लगभग 41 दिनों की अद्भुत व अविस्मरणीय यात्रा के बाद, 23 अगस्त 2023 का दिन, 140 करोड़ दिलों की धड़कने और दुनियाभर की नजरें जिस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। आखिरकार वो पल आ ही गया और जब हमारे चंद्रयान-3 ने चाँद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर विश्वपटल पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया तो देश वासियों की खुशी का ठिकाना न रहा । इस शुभ लैंडिंग से पूरा देश उत्साह व ऊर्जा से सराबोर है।
हमारे वैज्ञानिकों ने पूरे देश को गौरवान्वित करने का एक ओर मौका दिया है, इस सफलता के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियों के अथक परिश्रम को कोटि-कोटि साधुवाद एवं बधाई। अब से चाँद पर भी अशोक स्तंभ के रूप में भारत की छाप स्थापित हो गयी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसरो के वैज्ञानिको की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि भारत साउथ पोल पर पहुँचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
साउथ पोल से भारत को ऐसी सब जानकारियां मिल सकती हैं, जो वहां पर जीवन की संभावनाओं और अन्य संबंधित क्षेत्रों से जुड़ी संभावनाओं को ओर अधिक गति प्रदान करेगा।
स्पेस मार्किट में भारत के लिए संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गई है। अंतरिक्ष में भी पूरी दुनिया आज भारत का लोहा मानने लगी है। अब भारत ने स्पेस में अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है।
पूरी दुनिया में सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविज़न प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं, इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में बढ़ोतरी हो रही है।
हालांकि इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती।
ऐसे में चंद्रयान-3 की कम बजट में सफल लैंडिंग के बाद व्यवसायिक तौर पर भारत के लिए संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गयी है। आज कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की सबसे बड़ी ताकत बन गयी है।
अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का यह स्पष्ट संकेत है। इसके साथ ही भारत अब 200 अरब डालर के अंतरिक्ष बाजार में एक महत्वपूर्ण देश बनकर उभरा है।
चांद और मंगल अभियान सहित इसरो अपने 100 से ज्यादा अंतरिक्ष अभियान पूरे करके पहले ही इतिहास रच चुका है। भविष्य में अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी क्योंकि यह अरबों डालर की मार्किट है।
कुछ साल पहले तक फ्रांस की एरियन स्पेस कंपनी की मदद से भारत अपने उपग्रह छोड़ता था पर अब वह ग्राहक के बजाय साझीदार की भूमिका में पहुंच गया है।
यदि इसी तरह भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे यान अंतरिक्ष यात्रियों को चांद, मंगल या अन्य ग्रहों की सैर करा सकेंगे।
इसरो के मून मिशन, मंगल अभियान, स्वदेशी स्पेस शटल की कामयाबी और अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो के लिए संभावनाओं के नये दरवाजे खुल जाएंगे, जिससे भारत का निश्चित रूप से स्पेस में वर्चस्व पहले से अधिक बढ़ जाएगा।
जिसका इंतजार था, जिसके लिए करोड़ों-करोड़ों लोगों का दिल बेकरार था, वो पल हम सबने देखा और हम सब उसके साक्षी भी बने।
सच में चंद्रयान-3 की सफलता ने 2047 के अमृतकाल की शुरुआत बहुत बेहतरीन तरीके से की है और अब प्रत्येक भारतीय का विश्वास पहले से कई गुणा बढ़ गया है, कि भारत अब किसी भी क्षेत्र में रुकने वाला नहीं है।
अब सभी दिलों की केवल एक ही धुन है “जय भारत, जय-जय भारत”। एक बार पुनः इसरो के सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियों की अथक मेहनत को सलाम व सभी भारतीयों को बधाई, क्योंकि चांद से मैं भारत बोल रहा हूँ।