एक_दृष्टि_ऐसी_भी.....
यूँ तो इस छोटी सी दुनिया में सुबह को शाम होते हुए देखा है
प्रसिद्धि चाहे जितनी भी बड़ी हो पर उसे गुमनाम होते हुए देखा है
यूँ तो भरोसा लाख हो एक दूसरे पर
बावजूद इसके विश्वास का इम्तिहान होते हुए देखा है
यूँ तो मंजिल कितनी भी दूर ना रही हो
फिर भी रास्ते की हर याद में पहचान होते हुए देखा है
यूँ तो रिश्तों की गहराई को आंका नहीं जा सकता
अपितु कुछ खास रिश्तों को बेनाम होते हुए देखा है
यूँ तो बातें बहुत करने का जी चाहता
लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब बंद ज़ुबान होते हुए देखा है
यू तो कुछ रहस्य मौन होते हैं
पर विश्वास घात की कड़ी में उस रहस्य को भी सरेआम होते हुए देखा है
यूँ तो कलियुग में नारी की शक्ति का सम्मान होता है.
अपितु उठती हुई हर नारी को एक बार जरूर बदनाम होते हुए देखा है
यूँ तो सुना है आईना झूठ नही बोलता
बावजूद इसके फोन के हर फिल्टर में खुद को बेईमान होते हुए देखा है
चलो कुछ ऐसा कर जाएँ
रिश्तों रूपी इस रेत को फिर से मुट्ठी में भर लाएँ ।
नुपुर श्रीवास्तव
सहायक अध्यापिका
सिकरारा , जौनपुर