राजबली शुक्ल की पुण्यतिथि पर 21 महिला सफाई कर्मियों का हुआ सम्मान
- जौनपुर। पुण्यतिथि पर सामान्य रूप से भारतीय परम्परा में घर- परिवार, नात -रिस्तेदार , संगे -सम्बन्धियों को आमंत्रित करने एवं भोज आयोजित कर पूर्वजों को याद करने का आम रिवाज है। लेकिन सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करते हुए राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला ने एक अलग अंदाज में अपने पिता राजबली शुक्ल की पुण्यतिथि पिछले तीन वर्षों से मनाने की परम्परा शुरू की है।
- ज्ञात हो कि पं राजबली शुक्ल के पांच पुञों में ज्येष्ठ पुत्र प्रो. अखिलेश्वर शुक्ला है। सभी पुञ बाहर होने के कारण अपने अपने अंदाज से पुण्यतिथि मनाते हैं। डॉ अखिलेश्वर शुक्ला ने प्रथम तिथि 20-जून -2023 को यातायात से जुड़े, शहर के चौराहों पर तपती धूप में ड्यूटी करने वाले 21 जवानों को वर्दी के साथ सम्मानित कर उत्साह बढ़ाने का कार्य किया था। द्वितीय पुण्यतिथि (2024) पर 21 समर्पित गौसेवकों को पालिटेक्निक स्थित गौशाला में अंगवस्त्र के साथ सम्मानित किया गया था ।
- पुनः तीसरी पुण्यतिथि पर 20-जून-2025 को नगर पालिका जौनपुर में कार्यरत 21 महिला सफाई कर्मियों को अपने फैजबाग स्थित आवास पर अंगवस्त्रम के साथ सम्मानित कर महिला कर्मियों का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया। सम्मानित होने वालों में सुश्री ममता ,गुन्जा ,लैल्लू ,निशा, आरती ,अंशू, शैल कुमारी , निलम, पार्वती, पुष्पा, रूखसाना, मीरा, लक्ष्मी, हसीना, अनीता, मीना आदि रहीं। वहीं नगर पालिका के कार्यालय अधीक्षक अनिल यादव, अरविन्द कुमार , संजीव कुमार, राजेश कुमार सहित नगर पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कमरूद्दीन , संरक्षक विनोद सिंह के साथ साथ ऋषिकुल एकेडमी के प्रबंधक ऋषिकेश द्विवेदी , सहायता ज्वैलर्स के मनीष गुप्ता सहित पञकार बन्धु की उपस्थित रही।
प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला ने बताया कि - पूज्य पिता सदैव समाज के उन लोगों पर विशेष ध्यान दिया करते थे जो श्रमजीवी वर्ग से थे । यही कारण है कि मैं पिता जी की आत्मा की शान्ति के लिए समाज के उस तबके का उत्साह बढ़ाने के लिए जो भी कर सकता हूं -करना चाहता हूं। कोई काम छोटा नहीं होता, यदि यह समझ हम भारतीयों में आ जाये तो समाज/ राष्ट्र की तरक्की/ विकास को कोई रोक नहीं सकता। ।
प्रो शुक्ला का यह भी कहना कि हमारे पूर्वजों ने समस्त कार्यों को चार भागों में बांट कर जिस समाज एवं विकास की आधारशीला रखी थी । उसे पुरे विश्व स्तर पर देखा और समझा जा सकता है। जिसके बिना पूरा समाज अपंग अपाहिज हो सकता है। धर्म कर्म, पर्व त्यौहार , स्वस्थ -खुशहाल जीवन के लिए सेवा अर्थात सफाई कर्मियों के योगदान को भला कैसे भुलाया जा सकता है? सफाई कर्मियों द्वारा समर्पित भाव से सेवा एवं किसी भी कार्य को छोटा नहीं समझने का संदेश सर्वग्राह्य होना चाहिए। व्यक्तिगत नित्य कर्मों पर यदि विचार करें तो पाएंगे कि चारो कर्म हमारे स्वयं के दिनचर्या में शामिल है। इसलिए राष्ट्रीय हित में हमें जो भी दायित्व प्राप्त है उसका निर्वाह इमानदारी से करना ही राष्ट्रधर्म है।